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लेखनी प्रतियोगिता -16-Jun-2023 सोच अपनी अपनी

                    सौच अपनी अपनी

                     अंजली के फौन पर बच्चौ के स्कूल से शिकायत  आई जिसे सुनकर  वह आग बबूला होगयी और आफिस से अपने पति परमेश्वर की आने की प्रतीक्षा करने लगी।

       शाम को अनुज  के आते ही वह शेरनी की तरह गरजती  हुई बोली," देखो अनुज  अपने भाई  के दोनो  सुपुत्रौ को किसी सरकारी स्कूल में भरती करवादो?"

अनुज ने पूछा ," ऐसा क्यौ? वह दोनों अपने पिता की पैन्शन पर पढ़ रहे हैं ।   मुझे उनसे क्या परेशानी है? जो मै उनको सरकारी स्कूल में भरती करवा दूँ। कोई एक कारण तो बताओ ?"

   "कारण है अनुज उन दोनौ के साथ हमारे बच्चे भी बिगड़ रहे है । क्यौकि उन दोनों की संगति अच्छी नही है। उनके कारण आज मुझे बहुत कुछ सुनना पडा़ था। अपराध वह दोनों करते है सजा मेरे बेटों को भुगतनी पड़ती है। जब तक तुम ऐसा नहीं करोगे मै खाना नहीं खाऊँगी। " पैर पटकती हुईअंजली बोली।

      अनुज ने बहुत अंजली को समझाने की बहुत कोशिश की लेकिन सब बेकार क्यौकि अंजली अपनी जिद पर अड़गयी थी।

      जब अनुथ की अपनी पत्नी के साथ बहस होरही थी तब अनुज की भाभी सब सुन रही थी।

           अंकुर व अनुज दो सगे भाई थे। दोनों अपना अपना कमाते थे कोई कमी नहीं थी। दोनों भाई प्रेम से रहते थे। जेठानी व देवरानी भी मिल जुल कर रहती थी। दोनों के दो दो बेटे थे। वह एक हीत्रस्कूल में पढ़ने साथ साथ जाते थे।

    इसी दरिम्यान अंकुर की अचानक मौत ने पूरे परिवार को हिलाकर रख दिया। लेकिन होनी के सामने किसकी चलती है। अब अंकुर के परिवार की देखभाल का जुम्मा भी छोटे भाई अनुज पर आगया।  अंकुर की पत्नी को पैन्शन भी मिलने लगी। लेकिन अनुज ही सम्भालता था। 

     अंकुर की मौत के बाद अनुज की पत्नी के स्वभाव में परिवर्तन आगया था अब उसे अंकुर की पत्नी व बच्चे अच्छे नही लगते थे क्यौकि अब उसके मन में वह बेचारे जो होगये थे।

     अंकुर के दोनों बच्चे पढ़ने में तेज थे जबकि अनुज के बच्चे शैतानी करने में आगे थे। अनुज के  बच्चे शैतानी करते थे। और नाम अंकुर के बच्चौ का होता था। सजा उन दोनों को मिलती थी। वह अपनी माँ को शिकायत करते तब वह समझा देती   कि समय की बात है ।


     आज भी स्कूल में ऐसी ही कुछ  घटना घटी थी जिसकी स्कूल से शिकायत भी आई थी  अंजली ने सारा दोष अपनी जिठानी के बच्चौ के सिर मढ़ दिया था।

       जब अनुज ने अपनी भाभी को समझाते हुए कहा  " भाभी आपसे कुछ बात करनी थी ?"

संजना समझ गयी थी फिर भी वह अन्जान बनकर बोली," देवरजी बोलो क्या बात करनी है?"

   अनुज बोला," भाभी  साहिल व रमन को सरकारी स्कूल में भरती करवा देता हूँ जिससे आपकी भी कुछ बचत होजायेगी। वह दोनों बैसे भी पढ़ने में तेज है।वह सरकारी स्कूल में भी पढ लेगे। और दूध का दूध और पानी का पानी भी हो जायेगा कि कौन गलत है?"

  संजना बोली," देवर जी आपको जो आच्छा लगे बैसा कर लो।?" आप जो भी करोगे ठीक ही करोगे।"

      फिर बैसा ही हुआ उन दोनों बच्चौ को सरकारी स्कूल मेंडलवा दिया। लेकिन वह बच्चे वहाँ पर भी टापर ही रहे।

     अंजली के पास फिर भी शिकायत आती रही। और साहिल व रमन बडे़ अफसर बन गये।

       अब अंजली की आँखें भी खुल गयी थी कि स्कूल कोई छोटा बडा़ नहींहोता है। यह बच्चौ पर निर्भर  करता है कि वह किस सोसाइटी को जाइन करते है।

        अब अंजली पुनःअपनी जिठानी  के साथ थ प्रेम पूर्वक रहने लगी।

आज की दैनिक  प्रतियोगिता हेतु रचना।
नरेश शर्मा " पचौरी "



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4 Comments

Madhumita

20-Jun-2023 04:45 PM

Nice 👍🏼

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Abhinav ji

17-Jun-2023 08:44 AM

Very nice 👍

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Punam verma

17-Jun-2023 01:18 AM

Very nice

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